रात नींद नहीं आई तो कुछ लिखने बैठ गया। एक अजीब सा अहसास आजकल घेरकर रखता है। सोचा उसे कागज पर आकार दे दूं। एक चिट्ठी लिखने उठ बैठा। फिर ये सब चिट्ठियां याद आ गईं। दिमाग विचार मथता रहा और नतीजा ये निकला।
चिट्ठियां भी अब कारोबारी हो गईं
कॉरपोरेट तल्खियों की ब्योपारी हो गईं
आजकल यूं ही दरवाज़े पर पड़ी मिल जाती है
किसी में सूदखोर बैंक का नोटिस
कोई फोन बिल थमा जाती है
अब चिट्ठी में डर कैद है
क्या जाने लिफाफा घिसते ही
कौनसे नोटिस का जिन्न बाहर आएगा ?
जेब का सारा पैसा निगल जाएगा !
अब चिट्ठियां भटक जाती हैं
गलत पते पर डरावने मज़मून की चिट्ठी नज़र आती है
अब पोस्टल एड्रेस भी ‘मोबाइल’ हो गए हैं
मौसम का तरह बदल जाते हैं
हरकारे भी चिट्ठी फेंककर वापिस लौट जाते हैं
पहले चिट्ठी सौंपी जाती थी
खबर अच्छी हो तो बख्शीश दी जाती थी
प्यार की चिट्ठी हजारों कागज़ शहीद करके लिखी जाती थी
कटी पतंग सी, महबूबा पर गिरा दी जाती थी
तब चिट्ठी उम्मीद, उतावलापन छोड़ जाती थी
अब ‘कम्युनिकेशन मोड्स’ में गायब भावनाएं सारी हो गईं
चिट्ठी उम्मीद नहीं, आशंका हमारी हो गई
कॉरपोरेट तल्खियों की ब्योपारी हो गई
7 comments:
मधुकर जी लेकिन चिठ्ठियों का महत्व तो बना ही रहेगा । मैने मुझे जीवन मे प्राप्त सारी चिठ्ठियाँ सहेजकर रखी है । फिर एक दिन विचार आया कि क्यो न इन्हे प्रकाशित किया जाये तो मैने अपने पिता जी माताजी औअर सभी रिश्ते दारो के 25 साल मे मिले पत्र बुक फॉर्म मे प्रकाशित करवा दिये अब यह मेरे परिवार का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बन गया है । साहित्यिक मित्रो के भी ढेर सारे पत्र है । अभी पत्र आना कम हो गया है लेकिन अभी भी इनका महत्व है । पत्र मे भेजने वाले व्यक्ति के जिस्म की खुशबू भी शामिल होती है ..हाथ से किखे पत्रो मे ।
सही कह रहे हैं कोकास जी, वाकई वो खुश्बू लेकर आती थीं, लेकिन क्या वो दौर फिर आ सकता है?
बहुत सही कहा है आपने।
तब चिट्ठी उम्मीद, उतावलापन छोड़ जाती थी
अब ‘कम्युनिकेशन मोड्स’ में गायब भावनाएं सारी हो गईं
चिट्ठी उम्मीद नहीं, आशंका हमारी हो गई
कॉरपोरेट तल्खियों की ब्योपारी हो गई
चिट्ठियों की भीनी खुसबू और उनके आने का इन्तजार ...अरसा हुआ खो दिया यह सब ...मगर आज तो लिख दी है एक चिट्ठी ...!!
पंकज उधास का गाना याद आ गया । चिट्ठी आई है ....भले ही अब फर्जी चिट्ठियों से ज्यादा पाला पड़ता हो।
I have only one question for you....
Do you still write letters?
Dear Tara, you know very well about that. The person who has penned down his wholesome day in his diary and offerd me to nerrate that, can know that even I am emotional.
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