Sunday, June 22, 2008

मौसम का पलटवार

इसे मौसम की मेहरबानी ही कहेंगे कि बरसात ने मानसून शास्त्रियों की घोषणा के साथ-साथ दिल्ली की गर्मी पर पानी फेर दिया। कुछ भी हो लोगों को कपड़ों के भीतर बहते पसीने और बस में सफर के दौरान बगलों से उठते बदबूदार भभके से तो छुटकारा मिल ही गया। भले ही दो दिन को। लेकिन दो दिन बरसने के बाद बादलों ने फिर चुप्पी साध ली है। खैर दिल्ली के हालात चाहे जैसे हों, पूर्वी भारत में तो जैसे बादल फट ही पड़ा है। जल-थल एक हो गया है। लाखों लोग सरकार की चरमराई व्यवस्था के आसरे पेट पर पट्टी बांधे मदद के लिए आसमान ताक रहे हैं। समय से पहले बादलों की गरजन शायद कुछ कह रही है।
जेठ में सावन के आ जाने से "कच्चे नीम की निबोली सावन जल्दी अईयो रे" जैसे लोकगीत बेमानी हो गए हैं। ना लू चली, ना दसहरी महकी, तरबूज सड़कों के किनारे ग्राहकों की बाट जोहते रह गए और बादल आ धमके। ताऊ कहते थे "भरी दोपहरी आई जेठ, लाल्ला दालान में लेट"। अबकी शायद ताऊ भी किसी को नसीहत ना दे सके हों। गांव में, भरी दोपहर में खेलने निकले बालकों को इस बार शायद उनकी मां भी खोजने नहीं निकली हों। मां का सीख देने वाला डंडा भी कोने में खड़ा धूल फांकता रह गया। क्योंकि बादल वक्त के पहले घिर आए।
मानसून शास्त्रियों ने इसे अच्छा संकेत नहीं माना, आशंका जताई कि बादल लंबा इंटरवल भी कर सकते हैं जो किसानों के लिए शुभ संकेत नहीं होगा। धरती सोना तभी उगलेगी जब रुक-रुक कर पानी बरसता रहे। लेकिन आम आदमी तो फौरी लाभ के गणित से ही जुड़ा है। मानसून से पहले की बरसात ने रबी के लिए खेत तो तैयार कर ही दिया है। लेकिन अब इंद्र देव भी अचानक चुप हो गए। इससे किसान ही नहीं सरकार भी भारी संकट में पड़ जाएगी। बादलों की चुप्पी से यूपीए की गद्दी डोल जाएगी। सारे चुनाव जिताऊ मुद्दे महंगाई की आग में जल कर होम हो गए हैं। ऐसे में कांग्रेस को भी बादलों से बड़ी उम्मीदें हैं।
विशेषज्ञों की चिंता जायज़ ही थी। छः ऋतुओं के देश में, कुछ ऋतुएं आखिर कहां चली गईं ? कहीं मौसम के साथ हमारी बदसलूकी की वजह से ये विनाशकारी बदलाव तो नहीं हो रहे। मौसम भी इंसान की तरह ही रंग बदल रहा है। लगता है किसी ने हमारी बलसलूकी की चुगली मौसम से कर दी है और अब मौसम ने भी हम पर पलटवार शुरू कर दिया है।

3 comments:

Udan Tashtari said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.

कामोद Kaamod said...

स्वागत है आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में.
शुभकामनाऐं.

एक अनुरोध है -- कृपया वर्ड वैरिफिकेशन हटा दें.

कामोद

Raji Chandrasekhar said...

स्वागत है आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में.
शुभकामनाऐं.