Sunday, August 17, 2008

लाल किलाई भाषण में अछूते रहे अहम् मुद्दे.....

लाल किले की प्राचीर पर खड़े मनमोहन सिंह ने विकास का खाका खींच दिया। समाज के हर तबके के हालात सुधारने के लिए मनमोहन ने उन सारी योजनाओं को एक-एक कर गिना दिया जो कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार ने चार साल में चलाई हैं। नरेगा से लेकर किसानों की कर्ज माफी योजना तक प्रधानमंत्री का भाषण ऐसा लगा जैसे कांग्रेस चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। हकीकत में यह सारी योजनाएं अजगर की तरह आराम परस्त नौकरशाही की फाइलों में ही लागू हुई हैं, लेकिन मनमोहन की नजर में विकास का पहिया इन्हीं से घूमता नजर आया। प्रधानमंत्री ने भाषण में चार साल में लागू हुईं सारी सरकारी योजनाएं गिनाईं हैं, लेकिन देश के महत्वपूर्ण मुद्दों को उनके भाषण में उतना वक्त नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था। जमीन की सुलगती जन्नत यानि कश्मीर को मनोहन सिहं के भाषण में महज चंद मिनट ही मिले। कश्मीर के खराब हालात पर बोलते हुए सरकार के मुखिया उतने ही मजबूर नजर आए जितना कि उनका ऑल पार्टी डेलीगेशन। पहले की गईं बातें चाहे सच्चाई के पास हों या दूर लेकिन यहां हकीकत और उनकी बातें मेल खा रही थीं। असल में अब तक सरकार के पास कश्मीर मुद्दे का कोई हल नहीं है और भाषण में भी सरकार की मजबूरी साफ नजर आ रही थी। अपीलों के सिवाय और इस मामले पर किया ही क्या जा सकता था और यही किया हमारे प्रधानमंत्री ने। हां इस बहाने उन्होंने धर्म के नाम पर राजनीति करने वाली राजनीतिक पार्टियों को नरमी के साथ लताड़ जरूर भेजी। हाल ही में हुई आतंकवादी घटनाओं को भी इस भाषण में हाशिये पर ही रखा गया। इस एक मुद्दे पर मनमोहन ने इतना जरूर कबूल कर लिया कि देश के सुरक्षा तंत्र में खामियां हैं और उन्हें दूर करने की कोशिश सरकार जरूर करेगी। देश के छ: राज्यों के शासन और प्रशासन पर भारी नक्सलवाद को मनमोहन ने बिल्कुल ही भुला दिया। शायद गृहमंत्रालय की रपट आ गई है कि देश नक्सली हिंसा से मुक्त हो चुका है। सारे राज्य खुशहाल हैं और अब नक्सल विरोधी मुहिम चलाने की कोई जरूरत नहीं है।
हालांकि प्रधानमंत्री का व्याख्यान उम्मीद भरा था। ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री ने विकास और शांति से बेरुखी दिखाई हो। ये सही है कि सरकारी योजनाएं जिस रास्ते पर बढ़ रही हैं वो विकास की तरफ ही जाता है, लेकिन इस लंबे रास्ते से बेहतर तो यही है कि पहले मुंह फाड़े सामने खड़ी समस्याओं को सुलझाने की कोशिश कर ली जाए।

2 comments:

Anwar Qureshi said...

सही कहा है आप ने ...समस्याओं की तरफ किसी का धयान नहीं है ..

राज भाटिय़ा said...

कोई काम की बात भी थी उस भाषण मे? भाषण से क्या इन्हे वोट मिल जाये गे??क्या भाषण से गरीबो का पेट भर जायेगा ?