Monday, February 23, 2009

जय हो! की जय

इक्यासिवें ऑस्कर अवॉर्ड्स में पहली बार भारतीयों ने धाक जमा दी। बेस्ट फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर ने इतिहास रचते हुए आठ ऑस्कर पर कब्जा किया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की बच्ची पर आधारित एक शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म स्माइल पिंकी को भी बेस्ट शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए एक ऑस्कर से नवाजा गया।

एक ऑस्कर की उम्मीद लिए हमारी कई फिल्में ऑस्कर दरवाजे से लौ़ट आईं, इसलिए मीर का एक शेर याद आता है। बारहा ये हुआ जाकर तिरे दरवाज़े तक, हम लौट आए हैं नाकाम दुआओं की तरहा, लेकिन सोमवार को सौ करोड़ लोगों की उम्मीदों को स्लमडॉग मिलिनेयर ने आखिरकार पूरा कर ही दिया। स्लमडॉग मिलिनेयर ने बेस्ट फिल्म का अवार्ड अपने नाम करके पूरी दुनिया में बॉलीवुड की धाक जमा दी। एक ऑस्कर के लिए तरस रहे भारत की झोली में आठ-आठ ऑस्कर डाल दिए। गोल्डन ग्लोब से जीत का सफरनामा शुरू करते हुए वाया बाफ्टा ऑस्कर में भी स्लमडॉग ने जय हो का झंडा बुलंद कर दिया।

सायमन बिफॉय के नाम बेस्ट अडॉप्टेड स्क्रीनप्ले के लिए पहले ऑस्कर का एलान होते ही स्लमडॉग ने भारत के फिल्म जगत में इतिहास की एक अमिट इबारत लिख दी। इसके बाद बेस्ट सिनेमेटॉग्राफी के लिए एंथनी डॉड मेंटल, बेस्ट साउंड मिक्सिंग के लिए रेसूल पोकुट्टी और स्लम डॉग मिलिनेयर की बेस्ट एडिटिंग के लिए क्रिस डिकेंस को भी ऑस्कर अवॉर्डस मिले, लेकिन अब भी हर भारतीय एक नाम सुनने को तरस रहा था और वो था ए आर रहमान। ये घड़ी भी जल्द ही आ गई। ए आर रहमान को ऑरिजिनल स्कोर के लिए बतौर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार ऑस्कर से सम्मानित किया गया। जिस गीत जय हो ने भारत की जय का झंडा बुलंद किया उसके लिरिक्स के लिए गुलजार को बतौर सर्वश्रेष्ठ गीतकार ऑस्कर दिया गया। इस बार के लगभग सारे ऑस्कर उड़ा लेने के बाद बारी थी इस अज़ीमो शान फिल्म के निर्देशक डैनी बॉयल की, और बिना शक इस सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के नाम के साथ ऑस्कर विनर की मुहर लग गई। ऑस्कर की गिनती के लिहाज से देखें तो स्लमडॉग ने टाइटेनिक को भी पछाड़ दिया है।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के डिबही गांव की पिंकी ने भी इस खुशी में थोडी और मिठास घोल दी है। अपने कटे होंठ की वजह से उपहास का शिकार बनी इस बच्ची के संघर्ष और उसके होठों के इलाज पर आधारित कहानी स्माइल पिंकी को सर्वश्रेष्ठ शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए ऑस्कर दिया गया।

ये केवल बॉलीवुड की ही नहीं बल्कि उन करोड़ों तरसती आंखों की जीत है जो ऑस्कर को अपनी धरती पर देखने के लिए तरसती रही हैं। आज लाखों नम आंखें जय हो का खम ठोक रही हैं। ए आर रहमान जैसे संगीतकार पर फख्र कर रही हैं। करोड़ों हाथ एक साथ मिलकर भारत की विजय पर ताल ठोक रहे हैं। हालांकि बॉलीवुड के किसी फनकार को अपना फन साबित करने के लिए ऑस्कर जैसी विदेशी सनद की ज़रूरत नहीं है, लेकिन अगर हमारी शोहरत में एक और सितारा जड़ जाए तो खुशी होना लाज़िमी है। मन कह रहा है कि रहमान आखिरकार तुमने कर दिखाया, रिंगा रिंगा रिंग को अंग्रेजों की खुशी का ही नहीं बल्कि स्लम की खुशी का संगीत बना दिया। जय हो की तान छेड़कर भारत की जय कर दी। तुम ऑस्कर में नामित होने के बाद पहले भारतीय हो जो ऑस्कर छीन लाए। सच है कि सोना आग में तपकर ही कुंदन बनता है, तो हम भी कहें जय हो।

2 comments:

Udan Tashtari said...

मुख्य मुद्दा भारत और भारतियों का ऑस्कर मंच पर सम्मान है, जो कि निर्विवाद विश्व स्तरीय सम्मान है. बहुत अच्छा लगा देख कर एवं गर्व की अनुभूति हुई.भविष्य के लिए भी शुभकामनाऐं.


महा शिव रात्रि की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.

राहुल यादव said...

par khush kis karan se hoye hum.... film ko dekha fir bhi videshi chasme se hi gaya hai...